कहानी – ज्ञान का असली अर्थ

गंगा नदी के किनारे बसे शांतिनगर गाँव में एक लड़का रहता था – रवि। रवि बेहद चतुर था, लेकिन उसे लगता था कि केवल किताबें पढ़ लेने से ही वह दुनिया का सबसे होशियार इंसान बन सकता है। वह हमेशा अपने दोस्तों को ज्ञान की बातें सुनाता, लेकिन ज़िंदगी के असली सबक सीखने में उसकी कोई रुचि नहीं थी।

एक दिन गाँव में ऐलान हुआ कि राजा एक प्रतियोगिता रखने वाले हैं। जो भी सबसे ज्यादा बुद्धिमान साबित होगा, उसे सोने का सिक्का इनाम में मिलेगा। रवि बहुत उत्साहित था। उसने सोचा, “मुझे तो ये इनाम पक्का मिलेगा, क्योंकि मैं किताबों का भंडार हूँ!”

राजा ने घोषणा की –
“जो भी सच्चा ज्ञानी है, उसे तीन चुनौतियाँ पार करनी होंगी। जो इनका उत्तर सही देगा, वही इनाम का हकदार होगा!”

सब लोग हैरान थे। रवि ने मुस्कुराते हुए सोचा, “ये तो मेरे लिए आसान है!”

पहली चुनौती में राजा ने रवि को गाँव के एक गरीब बूढ़े आदमी के पास भेजा और कहा,
“अगर तुम सच में ज्ञानी हो, तो इसे कुछ ऐसा दो जो इसे जीवनभर याद रहे!”

रवि ने तुरंत अपनी जेब से कुछ पैसे निकालकर दे दिए। बूढ़े ने मुस्कुराते हुए पैसे रख लिए, लेकिन राजा ने सिर हिलाया – “असली ज्ञान पैसों में नहीं, सेवा में है।”

दूसरी चुनौती में राजा ने रवि को जंगल में भेजा और कहा,
“वहाँ जाओ और जो सबसे कीमती चीज़ मिले, उसे मेरे लिए ले आओ!”

रवि जंगल में गया और उसे वहाँ एक सुंदर चमकता हुआ पत्थर मिला। वह खुशी-खुशी राजा के पास आया।
राजा ने पूछा – “क्या यह सच में सबसे कीमती चीज़ है?”
तभी पास ही एक किसान अपने घायल बैल को सहला रहा था, उसकी देखभाल कर रहा था।

राजा मुस्कुराए और बोले –
“रवि, सबसे कीमती चीज़ धन नहीं, बल्कि धैर्य और दयालुता है।”

अब आखिरी परीक्षा थी। राजा ने रवि से पूछा –
“ज्ञान का असली अर्थ क्या है?”

रवि ने तुरंत जवाब दिया – “ज्ञान का अर्थ किताबें पढ़ना और बड़ी-बड़ी बातें करना है!”
राजा मुस्कुराए और बोले –
“अगर केवल किताबें पढ़ लेना ही ज्ञान होता, तो दुनिया के सबसे समझदार लोग वही होते जो सबसे ज्यादा पढ़ते हैं। लेकिन असली ज्ञानी वही है जो अपने ज्ञान को जीवन में उतारे, सेवा करे, धैर्य रखे और दूसरों की भलाई करे।”

रवि को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने राजा के पैर छूकर कहा, “मैं समझ गया कि सच्चा ज्ञान केवल किताबों में नहीं, बल्कि हमारे कर्मों में होता है!”

राजा ने प्रसन्न होकर उसे गले लगाया और कहा – “आज से तुम असली ज्ञानी बन गए!”

सीख:

इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि सिर्फ किताबें पढ़ना ही ज्ञान नहीं है, बल्कि उसे अपने जीवन में उतारना ही असली बुद्धिमानी है। सेवा, धैर्य और करुणा ही इंसान को महान बनाते हैं।

अगर आपको भी असली ज्ञानी बनना है, तो सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, अच्छे कर्म भी करने होंगे!

 

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